नेता भी कुर्ता छोड़ क्यों नहीं पहनते सुर्ख टी शर्ट
एक तरफ हम चाहते हैं देश से वीआईपी कल्चर खत्म हो जाए। दूसरी तरफ कोई नेता रेस्टोरेंट में खाना खा लेता है या मूवी देख लेता है तो गॉसिप का मसाला बन जाता है। नेता भी इंसान होता है। उसकी भी निजी जिंदगी है। फिल्में देखने का मन करता होगा। ट्रैफिक खत्म होने के बाद स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी में टहलना चाहता होगा या गली चौराहे पर बैठकर गप्प करना चाहता होगा। हमें हमेशा ऐसा व्यक्ति क्यों चाहिए जो चमत्कारिक और जिसका जीवन रहस्य में लिपटा हुआ हो। हर चीज जान लेना चाहते हैं आरटीआई लगाकर लेकिन जब कोई बिंदास और खुली किताब सा होता है तो उस पर फिकरे कसे जाते हैं। नेताओं के ड्रेसिंग सेंस देखकर मुझे ऊब सी लगती है। मैं अक्सर सोचता हूं कि कितना बोरियत भरा होगा कि हर समय एक वे एक ही डिजाइन और रंग के कुर्ते और पायजामें पहना पड़ता है। क्यों नहीं सामान्य लोगों जैसे सुर्ख रंग के टी शर्ट पहनते। क्यों नहीं बसंत के मौसम में सरसो के फूलों जैसे गहरे और चटकीले पीले रंग के शर्ट या टी शर्ट पहना करते। चौराहे पर उतर कर होली खेलते। देश के सारे नेताओं को एक जगह खड़ा कर दिया जाए लगेगा कि किसी शोक सभा में आए हुए