ती खे नयन नख्श, दुबली-काया और उस पर काले रंग का मैला सा लंहगा। लंबाई करीब 5 फुट । ऐसी ही थी वह नौयौवना जो लोगों की तीखी निगाहों से बेखबर, चाय की थड़ी पर बैठ अपने चेहरे का रंग-रोगन कर रही थी। उसके पास मेक-अप किट के तौर पर एक बड़ा सा झोला था। जिसमें एक आइना, लाइनर, लिपिस्टिक और ठूंसे हुए कुछ कपड़े थे। वह मेकअप के बीच-बीच में तरह-तरह की भावभंगिमा बनाते हुए सेल्फी भी ले रही थी। लेकिन मोबाइल पर गौर करने पर पता चला कि वह तो नोकिया 1200 था। यह सब कई घंटों से चल रहा था। लोग आते, चाय पीते, उसपर भी नजरें फेेंकते और कुछ पल में ही अपने अपने सफर पर निकल जाते। युवती अब भी उतनी ही बेखबर थी जितना एक घंटे पहले थी ...लेकिन अब लोगों के मन में कीड़े ने काटना शुरू कर दिया था। एक अधेड़ व्यक्ति ने अपने अनुभव का सर्टीफिकेट लगाते हुए कहा... ये सब ऐसे ही होती हैं...इन्हें ग्राहक चाहिए, तो दूसरे नें थोड़ा खीस निपोरते, पैरों से मिट्टी कुरेदते हुए सिगूफा छोड़ा ... 'है तो जवान'.. करीब करीब सभी इसी तरह की मिलती जुलती अपनी राय सार्वजनिक कर चुके थे ..बस रह गया था तो चाय वाला। एक दो लोगों ने उसकी भी राय लेनी