जिंदगी की राहों पर
बस चला जा रहा था जिंदगी की राहों पर अचनक ही एक ठोकर लगी मैं लड़खड़ा गया तंद्रा टूटी तो पता चला किसी से टकरा गया, दिलो दिमाग पर वो चेहरा हमेशा के लिए छा गया, फिर तो यूं लगा जैसे जिंदगी का सफर ठहर गया अब तो लगता है जैसे हमेशा के लिए रूठ सहर है गया उसे जाते हुए दूर तलक देखता रहा, खड़े-खड़े घंटों सोचता रहा, शायद फिर किसी मोड़ पर मुलाकात होगी, फिर बची हुई बात चीत होगी, पर पहली मुलाकात की कुछ और बात थी, अगली मुलाकात की कुछ और बात होगी, पर उम्मीद कायम है, जिंदगी की राहों में उनसे एक न एक दिन मुलाकात होगी