एक 'कटोरा' जिज्ञासा
38 मिलियन डॉलर में नीलाम चीन का कटोरा फेसबुक पर पिछले दिनों कटोरी/कटोरा ने काफी सुर्खियां बटोरी। कहा गया कि कटोरी तक के मोह से ग्रसित स्त्रियां बुद्धत्व हासिल नहीं कर सकतीं। यह बात बाकी बहुत सारी बातों की तरह ही आई और गई हो गई। लेकिन इस बेहद आम पात्र के बारे में थोड़ी जिज्ञासा जागी। दिलचस्प बात है कि कटोरा तो बुद्ध ने भी नहीं छोड़ा था। बल्कि भिक्षाटन करने वाले भिक्षु/भिक्षुणियों के लिए चंद अनिवार्य चीजों में से थी। कहते तो यह भी हैं कि बुद्ध के शिष्य आनंद के कटोरे में चील के पंजे से मांस का टुकड़ा न गिरता तो बौद्ध धर्म में मांस खाने की अनुमति न मिलती। बुद्धत्व हासिल करने के लिए भूखे-प्यासे तप कर रहे सिद्धार्थ को सुजाता के हाथों एक कटोरा खीर खाकर ही मध्यम मार्ग अपनाने का रास्ता मिल गया और वह बुद्ध बन गए। एक बेहद आम कहावत सुनने को मिलती है, 'कटोरा लेकर भीख मांगना'। यह नहीं मालूम कि यह कहावत कब से शुरू हुई। शायद बौद्ध धर्म के पतन के बाद दीन-हीन बौद्ध भिक्षुओं को देखने के बाद शुरू हुई हो। एक तरफ कटोरे को भिक्षा पात्र के दौर पर देखा जाता है तो दूसरी ओर माएं बच्चों के लिए चंदा मामा