एक 'कटोरा' जिज्ञासा
38 मिलियन डॉलर में नीलाम चीन का कटोरा |
थोड़ा बहुत कटोरे का इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि यह पात्र करीब 18000 साल से अधिक पुराना है। 2009 में चीन में 18000 साल पुराना नवपाषाण कालीन कटोरा मिला था। यह कटोरे का ही नहीं, मिट्टी के बर्तन का भी तक का सबसे पुराना साक्ष्य है। इस खोज ने सभ्यता के कई पुराने दावों को ध्वस्त कर दिया। इस तरह के मिट्टी के पात्र प्रचाीन ग्रीक, रोमन, अमेरिकी और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं में भी मिलते हैं। ग्रीक सभ्यता में मिले ऐसे बर्तनों का इस्तेमाल मद्य पान करने और परफ्यूम रखने में किया जाता था। चीन में कटोरों पर सुंदर चित्रकारी देखने को मिलती है। इसी तरह का एक कटोरा 2017 में 38 मिलियन डॉलर में नीलाम हुआ था। 1000 साल पुराना यह कटोरा सोंग राजवंश के काल का था।
कटोरे की बात हो रही है तो तिब्बती बाउल सिंगिंग या हिमालयन बाउल्स को कैसे छोड़ा जा सकता है। बौद्ध मंदिरों में बजने वाला यह वाद्य अद्भुत होता है। इसे यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर स्लीप म्यूजिक या मेडिटेशन म्यूजिक के नाम से शेयर करते देखा जाता है। यह लोहा, चांदी, सोना, पारा, तांबा और सीसा जैसी धातुओं से मिलकर बना होता है।
इतना ही नहीं, भारत-अफगानिस्तान को बहुत सारी चीजें जोड़ती हैं। कटोरा भी इनमें से एक है। काबुल म्यूजियम में रखे ग्रेनाइट पत्थर से बने कटोरे को भारत लाने की अक्सर मांगें उठती रही हैं। यह अफगानिस्तान में बौद्ध धर्म के बचे चुनिंदा अवशेषों में से एक है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार, यह कटोरा 300 से 400 किग्रा वजनी है। इसे बुद्ध को वैशाली गणराज्य के लोगों ने दान में दिया था। दूसरी शताब्दी में इसे कनिष्क अपनी राजधानी पुरुषपुर यानी पेशावर ले गया और फिर यह यहां से गांधार यानी कंधार चला गया। बाद में इस विशाल कटोरे को काबुल के म्यूजियम में रख दिया गया। कई साल से लाने की कोशिशें हो रही हैं। फिलहाल की स्थिति नहीं मालूम।
Katore ke itihaas pe acchi aur rochak jankari dene wala lekha hai..accha research kiya hai aap ne Praveen ji!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रोहन जी।
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