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लड़की कैक्टस थी : स्मृतियों, स्वप्न और प्रेम और जिजीविषा की कविता

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दी प्ति सिंह (वियोगिनी ठाकुर) की कविताएं और अन्य लिखा हुआ फेसबुक सहित कई प्लेटफॉर्म पर तो पढ़ा जाता रहा है। अब उनकी कविताओं का एक संकलन 'लड़की कैक्टस थी' नाम से आ गया है। इसमें 100 कविताएं हैं। उनकी कविताएं पढ़ते हुए आप उनकी सपाट बयानी से बार-बार अभीभूत हो सकते हैं। वे बेहद सरल और न्यूनतम भाषा लालित्य वाली कविताओं के जरिए अपने आसपास की चीजों को बहुत सूक्ष्म नजर से देखती हैं। उनकी कविताएं प्रेम पर हैं। लेकिन ये प्रेम सिर्फ प्रेमी और प्रेमिका का नहीं है। इसमें अपने अस्तित्व से भी प्रेम मिलता है। जो विद्रोह की शक्ल में आता है। कविताएं उस घटाटोप पर तड़ित प्रहार करती हैं जिसे एक स्त्री के स्वतंत्र अस्तित्व पर ओढ़ाया गया है।  कविता संग्रह 'लड़की कैक्टस थी' में शामिल ज्यादातर कविताएं स्मृतियों, स्वप्न और पीड़ा की कविताएं हैं। इन्हें पढ़ते हुए एक कथन याद आ जाता है कि मनुष्य स्मृतियों से बना है। मांस, मज्जा तो सिर्फ उसका ढ़ांचा हैं। प्राण तो स्मृतियां ही हैं। दीप्ति की कविताओं में विभिन्न प्रकार की स्मृतियां हैं। जिनसे हम लगभग प्रतिदिन गुजरते हैं।  स्मृति में कितनी बैलगाड़ियां दर्ज हैं अ