नेहरू: एक प्रतिमा (राही मासूम रजा)
धर्मयुग 13/नवंबर/1977 इन दिनों नेहरू को बुरा भला कहने का फैशन चल पड़ा है। श्री जगजीवन राम के सिवा लगभग लगभग सारी जनता का वही ख्याल हो गया है कि नेहरू बिल्कुल बेकार आदमी थे। गृहमंत्री श्री चरण सिंह का तो कहना है कि नेहरू ऐसे थे कि उनके हिंदुस्तानी होने पर हमें शर्माना चाहिए। मेरी खाल जरा मोटी है। जब मैं चौधरी चरण सिंह के होने पर नहीं शर्माता तो नेहरू के होने पर क्या शर्माउंगा। वह तो सुना था कि बाप के पाप बेटे के घर जाते हैंपर वह नहीं सुना था कि बेटी के किए की सजा बाप को भुगतनी पड़ती है। किस्सा कुर्सी का चाहे जो कुछ भी हो परंतु किस्सा नेहरू का यही है। हम लोग या तो शंकराचार्य बन कर जीते हैं, या महमूृद गजनवी बन कर । हम या बुत बन कर जीते हैं, या बुत तोड़ते हैं। किसी बुत की खूबसूरती देखने के लिए रुकते नहीं पल भर, मैं नेहरू के बुत की पूजा नहीं करता, पर मैं महमूद गजनवी भी नहीं हूं। इसलिए मैं उस बुत को तोड़ता भी नहीं और चाहता भी नहीं। हमारे इतिहास के रास्ते को सजाने के लिए यह बुत बड़ा खूबसूरत है।यात्री हवाई अड्डे के किसी फाइव स्टार होटल जाते हुए उसे देखने के लिए पल भर टिकेंगे