शीर्षक मुक्त कविता (3)
मैं चाहता हूं
ऐसा प्यार करना
जो बंधन नहीं आजादी हो
जैसे नदी करती है पानी से
परिंदे करते हैं आसमान से
प्यार मेरे लिए तुम्हें
उनमुक्त देखने का नाम है
हों पंख इतने मजबूत कि
आसमां की बुलंदियों तक उड़ सको
पैरों में हो इतनी जान कि
रौंद सको ख्वाहिशों के लिए
इस धरा को
मन में हो आत्मविश्वास इतना
कोई ख्वाब न लगे बड़ा
मेरे लिए प्यार
हवस नहीं अहसास है
बस एक खूबसूरत अहसास
जिसे तुमसे
बांटना चाहता हूं
तुम्हारा चेहरा खिला रहे
हमेशा ऐसे ही
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