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बाबा ने स्पीति की बारिश से सराबोर कर दिया

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    curtsy :Google, key monastery  -----------------------------------------------------  नौकरी से भारी ऊब वाले समय से जब एक बार फिर गुजर रहा हूं तो भागकर 'हिमालय' चले जाने का मन हो रहा है़. ऐसे में एक उनीदे से साप्ताहिक अवकाश वाले दिन अपने से करीब 800 किलोमीटर दूर हिमाचल की स्पीति घाटी को याद कर रहा हूं. उसकी कल्पना में खोया हूं. बाबा कृष्णनाथ की हिमालयी यात्राओं के पन्ने फिर से पलट रहा हूं. हम सब हिमालय को तपस्या की भूमि मानते हैं और तपस्या जीवन का आखिरी काम है. हालांकि 'हिमालय' भाग जाना मैं कहीं दूर चले जाने के संदर्भ में इस्तेमाल करता हूं. हिमालय भले ही क्यों न मेरे से हजार किलोमीटर दूरी पर ही हो.अवचेतन में धरती के आखिरी छोर पर है लेकिन बाबा की हिमालय यात्रा त्रयी से गुजरने के बाद मेरा दिल कम से कम 'की' मोनेस्ट्री या गोनपा पर तो आ ही गया है.  यात्रा त्रयी का पहला हिस्सा ' स्पीति में बारिश' है. बाबा प्राकृतिक रूप से शुष्क स्पीति घाटी में बारिश खोजते हैं. वे यहां सराबोर हो जाते हैं ज्ञान की, स्नेह की, परंपरा की और मानवीय रिश्तों की बारिश से