उठ मेरी जान
उठ मेरी जान, उठ अभी दूर तक चलना है तुझे वहां तक जहां जमीं औ आसमां हैं दिख रहे गले लगते हुए रास्ते हैं पथरीले और कंटीले पर इसी पे चलना है तुझे रास्ते की कठिनाईयों में इतना दम कहां जो तेरे हौसलों को तोड़ सकें नहीं कोई बेड़ियां मजबूत इतनी जो कदमों को तेरे थाम सकें बस एक बार उठ जा मेरी जान थकान, हताशा, हार को निकाल फेंक दे शब्दकोष से गर जितना मिला उसे ही बस कह दिया तो जहां से निकल कर आए हो वहीं पहुंचा दिए जाओगे फिर से अतीत तेरा शोषण और दमन से भरा हुआ है कुछ पन्ने पलट देख इतिहास के तू समर्थ है नया आदर्श गढऩे में ना सीखना रामायण पुराणों से वरना मुक्त न हो सकोगे अग्नि परीक्षा चीरहरण से तेरी मंजिल करीब है बस एक बार हासिल कर ले उसे फिर तेरा जहां होगा, तेरी कहानियां उठ मेरी जान एक बार फिर से वह सामने इंतजार कर रही हैं तेरा नई सुबह की रश्मियां