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बिना स्वतंत्रता के सबसे सुखी होने का ये कैसा भरोसा

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किताब: एक रोमांचक सोवियत रूस यात्रा  लेखक: डोमिनीक लापिएर  यात्रा वृतांत लिखा जाना इतिहास लिखने जैसा है। ऐसा मेरा मानना है। लेकिन इसका दायरा तिथियों और सत्ता पर पर काबिज लोगों की कहानियों से काफी बड़ा होता है। यह संस्कृति, सभ्यता और राजमहलों के एश्वर्य से काफी दूर जीने वालों के बारे में ज्यादा होता है। पिछले महीने हमने बाबा कृष्णनाथ के हिमालयी यात्रा का एक हिस्सा स्पीति में बारिश पढ़ा। अब फ्रैंच पत्रकार डोमिनीक लापिएर का यात्रा वृतांत एक सोवियत रूस यात्रा। बाबा कृष्णनाथ की स्पीति में बारिश पर अभी कुछ लिखने की स्थिति में नहीं हूं। उसको लेकर भीतर एक यात्रा का दौर चल रहा है। वो पूरा होगा तब लिखा जाएगा। फिलहाल डोमिनीक पर। डोमिनीक लापिएर की यात्रा के समय उम्र 25 साल थी। उनके साथी फोटो पत्रकार ज्यां पियरे पेद्राजनी की 27 साल। उनके साथ उनकी पत्नियां भी थीं। डोमिनीक और पेद्राजनी की 13000 किलोमीटर की यात्रा  सोवियत यूनियन के समाजिक जीवन की यात्रा है। इस वृतांत को पढ़ने के क्रम में सबसे पहला सवाल आता है, कम्युनिस्ट स्टेट अपने लोगों को दुनिया से काट कर क्यों रखते हैं? इसका जवाब नहीं मिला