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नेता भी कुर्ता छोड़ क्यों नहीं पहनते सुर्ख टी शर्ट

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एक तरफ हम चाहते हैं देश से वीआईपी कल्चर खत्म हो जाए। दूसरी तरफ कोई नेता रेस्टोरेंट में खाना खा लेता है या मूवी देख लेता है तो गॉसिप का मसाला बन जाता है। नेता भी इंसान होता है। उसकी भी निजी जिंदगी है। फिल्में देखने का मन करता होगा। ट्रैफिक खत्म होने के बाद स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी में टहलना चाहता होगा या गली चौराहे पर बैठकर गप्प करना चाहता होगा। हमें हमेशा ऐसा व्यक्ति क्यों चाहिए जो चमत्कारिक और जिसका जीवन रहस्य में लिपटा हुआ हो। हर चीज जान लेना चाहते हैं आरटीआई लगाकर लेकिन जब कोई बिंदास और खुली किताब सा होता है तो उस पर फिकरे कसे जाते हैं। नेताओं के ड्रेसिंग सेंस देखकर मुझे ऊब सी लगती है। मैं अक्सर सोचता हूं कि कितना बोरियत भरा होगा कि हर समय एक वे एक ही डिजाइन और रंग के कुर्ते और पायजामें पहना पड़ता है। क्यों नहीं सामान्य लोगों जैसे सुर्ख रंग के टी शर्ट पहनते। क्यों नहीं बसंत के मौसम में सरसो के फूलों जैसे गहरे और चटकीले पीले रंग के शर्ट या टी शर्ट पहना करते। चौराहे पर उतर कर होली खेलते। देश के सारे नेताओं को एक जगह खड़ा कर दिया जाए लगेगा कि किसी शोक सभा में आए हुए

दांडी : मैं छूना चाहता था सत्याग्रह की पवित्र जमीन

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मैं पिछली जनवरी में जब नई नौकरी के लिए नोएडा से सूरत शिफ्ट हो रहा था, तो क्लॉसमेट्स और कई साल कहीं रह लेने पर स्वाभाविक से लगाव को “घूमने की चाहत’ से किनारे किया था। मैने सोचा कि चलो कुछ नई जगह, नई संस्कृति देखने को मिलेगा, पहली बार समंदर देखा जाएगा। मेरे लिए घूमना मतलब है उसकी संस्कृति, लोग और उसके इतिहास को समझना। उसे कैमरे में कैप्चर करना। गुजरात में घूमने वाली जगहों में दांड़ी का नाम सबसे ऊपर था। मैं सत्याग्रह की पवित्र जमीन को छूना चाहता था। हालांकि यह खूबसूरत दिन आया सूरत आने के 8 महीने बाद किसी वीक ऑफ की पूर्व संध्या पर, जैसा कि अखबार में नौकरी करते हुए हर काम वीक ऑफ के दिन ही निपटाने की योजना बनाने की अघोषित परंपरा है। मैं कैमरा दोबारा ले चुका था, इसकी सही शुरुआत दांडी से बेहतर और दूसरी जगह कहां हो सकती थी। दांडी के लिए सुबह बस स्टैंड से बस पकड़ी। नई जगह, गुजरात में पहली बार बस की यात्रा और मेरा पहली बार अकेले घूमने का प्लान। मन में काफी उथल-पुथल मची थी। एक कारण तो गुजराती का कम समझ में आना भी था। सूरत से इसकी दूरी करीब 60 किलोमीटर है। जिसके लिए दो बार बस बदल

दांडी की मेरी यात्राः मैं सत्याग्रह की पवित्र जमीन को छूना चाहता था

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https://www.instagram.com/p/Bbr-QyFHg-c/ मैं पिछली जनवरी में जब नई नौकरी के लिए नोएडा से सूरत शिफ्ट हो रहा था, तो क्लॉसमेट्स और कई साल कहीं रह लेने पर स्वाभाविक से लगाव को “घूमने की चाहत’ से किनारे किया था। मैने सोचा कि चलो कुछ नई जगह, नई संस्कृति देखने को मिलेगा, पहली बार समंदर देखा जाएगा। मेरे लिए घूमना मतलब है उसकी संस्कृति, लोग और उसके इतिहास को समझना। उसे कैमरे में कैप्चर करना। गुजरात में घूमने वाली जगहों में दांड़ी का नाम सबसे ऊपर था। मैं सत्याग्रह की पवित्र जमीन को छूना चाहता था। हालांकि यह खूबसूरत दिन आया सूरत आने के 8 महीने बाद किसी वीक ऑफ की पूर्व संध्या पर योजना बनी। जैसा कि अखबार में नौकरी करते हुए हर काम वीक ऑफ के दिन ही निपटाने की योजना बनाने की अघोषित परंपरा है। मैं कैमरा दोबारा ले चुका था, इसकी सही शुरुआत दांडी से बेहतर और दूसरी जगह कहां हो सकती थी।  दांडी के लिए सुबह बस स्टैंड से बस पकड़ी। नई जगह, गुजरात में पहली बार बस की यात्रा और मेरा पहली बार अकेले घूमने का प्लान। मन में काफी उथल-पुथल मची थी। एक कारण तो गुजराती का कम समझ में आना भी था। सूरत से इसकी दूरी करीब 60 क

एक प्रजाति के तौर पर मानव की सफलता

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एक प्रजाति के तौर पर मानव की सफलता क्या हो सकती है ? इसको दो हिस्सों में कहा जा सकता है : पहला ब्रह्मांड से मनुष्य का एक एेसा संपर्क स्थापित हो कि संपूर्ण सृष्टि में उसको अपनी हिस्सेदारी का अनुभव हो। यह सर्वोच्च लक्ष्य है। दूसरा और निम्नतम लक्ष्य यह होगा कि प्रत्येक मनुष्य को स्वाभिमान के साथ एक स्वस्थ और जीवन जीने की पर्याप्त सुविधाएं प्राप्त हों। जहां निम्नतम और सर्वोच्च दोनों लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कोशिशें होती रहती हैं वहां सभ्यता होती है। आज के इतिहास को हम धिक्कार सकते हैं कि अभी तक एक उपर्युक्त निम्नतम लक्ष्य को भी मानव समाज ने प्राप्त नहीं किया है। इक्कीसवीं के प्राक् काल में हम पाते हैं कि निम्नतम लक्ष्य ओर सर्वोच्च लक्ष्य दोनों स्तरों पर विचार की कमी हो गई है। आज लगता है कि किसी भी मानवीय समस्या के हल के लिए मनुष्य के पास बुद्धि नहीं है। पचास साल पहले स्थिति बेहतर थी। मनुष्य के विचार- संसार में बहुत सारे सकारात्मक तत्व थे जिनके चलते लगता था कि मनुष्य अपने निम्नतम लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। गरीबी, बीमारी और अपराध से मुक्त एक विश्वव्यापी समाज व्यवस्था की संभावना तत्काली