ओ रे...
तुम चांद हो
जिसकी रोशनी
ठहरे पानी में
छिटक रही है
मैं उसमें तैरते
पंछी के जैसा
जो पानीं में चांद
का बिंब देख
बड़े हौले से
बढ़ रहा
पर नियति में
नहीं है छू पाना
पता है फिर भी
जीने का यह भी
हो सकता है बहाना
हो सकता है किसी दिन
भटक जाऊं
पर भूलना
बेवफाई कहां
होती है जाने जानां
जिसकी रोशनी
ठहरे पानी में
छिटक रही है
मैं उसमें तैरते
पंछी के जैसा
जो पानीं में चांद
का बिंब देख
बड़े हौले से
बढ़ रहा
पर नियति में
नहीं है छू पाना
पता है फिर भी
जीने का यह भी
हो सकता है बहाना
हो सकता है किसी दिन
भटक जाऊं
पर भूलना
बेवफाई कहां
होती है जाने जानां
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