कुछ-कुछ अनछुआ सा...

कभी नदी के उन किनारों पर घूमिए जहां लोग न जाते हों, बेहद खूबसूरत दुनिया बसती है l 

 पेड़ों से उगने वाली नन्ही कोपलें ही शाखाएं बनती हैं... 

 रेखाएं... 
कुछ-कुछ अनछुआ सा

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