पब्लिक में इज्जत का ये कैसा पैमाना अरविंद भईया ?
भईया अरविंद आपने तो अरुण जेटली की मानहानि के मामले में तो कमाल ही कर दिया । अदालत में आपने खुद के बचाव में जो दलील पेश किया उसे सुनकर थोड़ी देर हंसी तो आई पर यह ज्यादा देर ठहर नहीं सकी।
दरअसल आपने कोर्ट को जो लिखित में कहा कि अरुण जेटली एक लाख वोट से लोकसभा चुनाव हार गए हैं, इसलिए उनका कोई मान नहीं है। यह बात गले के नीचे उतरने लायक नहीं है।
एक बात बता दूं कि मैं न तो जेटली भक्त हूं, न बीजेपी भक्त और मोदी भक्त तो हो ही नहीं सकता। भक्त आपका भी नहीं हूूं, पर हां थोड़ी इज्जत करता हूं, थोड़ा भरोसा कायम है।
तो आपकी दलील गले के नीचे नहीं उतर रही क्योंकि देखिए अब इसी को इसी को किसी की छवि का पैमाना मानें तो डॉ. भीमराव अंबेडकर भी चुनाव हारे थे, पर देश उनका सम्मान आज भी करता है। उनके मान में तो कमी नहीं आई।
पं. नेहरू के सामने इलाहाबाद की फूलपुर सीट से देश के धुरंधर समाजवादी डॉ. राम मनोहर लोहिया खड़े हुए थे। लोहिया बहुुत बुरी तरह हारे थे।
पर आज भी चाहे दक्षिण पंथी हो, वाम पंथी हो या कांग्रेस हो किसी ने कभी लोहिया पर अंगुली उठाने की हिमाकत नहीं की।
इन सबके अलावा पं. अटल बिहारी वाजपेई न जाने कितनी बार चुनाव हारे पर जनता आज भी उन्हें मिस करती है।
अब आप ही बताईए कि ये सब चुनाव हार थे अपनी जिंदगी में, मतलब इनके साथ क्या क्या किया जाए ?
इसके अलावा बिहार के सुशासन बाबू अपने नीतीश कुमार केा देख लीजिए वे भी चुनाव कई बार हारे हैं। पर आज उनपर तारीखें लिखी जा रही हैं।
छोडि़ए इन सबो को महराज आप खुद भी तो इसी क्लब में शामिल हैं। लोकसभा चुनाव में जहां आपके पार्टी की मिट्टी पलीद हो गई थी वहीं आप खुद भी करीब तीन लाख वोट से हार गए थे, बनारस से। भूल गए क्या?
लेकिन जम्हूरियत का कमाल देखिए कि उसी दिल्ली में जहां आपको एक भी सीट नहीं मिली थी, विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 भांज दिए। तो आप मने मान रहे हैंं कि हम सब आपकी इज्जत फालूए में करते हैं। आपका कोई मान-सम्मान नहीं ?
देखिए बात जहां तक डीडीसीए में भ्रष्टाचार की है, उसे उजागर कीजिए। जेटली समेत सबको नंगा कीजिए जिसने लूटा। पर इधर उधर की बेतुकी बातें तो न कीजिए।
एक बालक
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