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'वोदका डायरीज'

आज नेटफ्लिक्स पर फिल्म 'वोदका डायरीज' देखी. के. के मेनन, शारिब हाशमी, मंदिरा बेदी और राइमा सेन की मुख्य भूमिका है. मुख्यतया एक क्राइम और सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है. लेकिन आखिर में पूरी कहानी उलट जाती है और पता चलता है कि यह एक साइको थ्रिलर है. इनसेंटिव ऑब्सेसिव आइडेंटिफिकेशन डिसॉर्डर नाम की एक मानसिक बीमारी पर आधारित है. जिसमें व्यक्ति किसी काल्पनिक कैरेक्टर को जीने लगता है. हालांकि गूगल करने पर इस बीमारी के बारे में कुछ पता नहीं चला.  एक एसीपी मनाली में ' कुछ मर्डर मिस्ट्री सुलझाने की कोशिश करता है और उसमें बुरी तरह उलझता जाता है. फिल्म जबर्दस्त थ्रिल और सस्पेंस से भरी हुई है. कहानी बिखरी होने के बावजूद स्क्रीन से नजर नहीं हटती.  के.के मेनन हमेशा की तरह बेजोड़ हैं. शारिब हाशमी भी शानदार हैं. मंदिरा बेदी की एक्टिंग कहीं-कहीं लाउड है.  अगर फिल्म के लिए बीमारी नहीं गढ़ी गई है तो अच्छे और दिलचस्प मुद्दे पर फिल्म बनी है. लेकिन बीमारी की बजाए पूरी फिल्म मर्डर मिस्ट्री में खप जाती है. बीमारी को थोड़ा और स्पेस मिलना चाहिए था. बहुत कम या कहें दिया ही नहीं गया है. एक लेखक है, जो मर्डर