महानगर
वहां के लोग रहस्यमय थे
सबके चेहरों पर मुखौटे
परत दर दर परत चेहरे
ऊपर से शांत पर
सबके भीतर
सबके चेहरों पर मुखौटे
परत दर दर परत चेहरे
ऊपर से शांत पर
सबके भीतर
कुछ जल रहा था
हर कोई बस
चल रहा था
वहां के कुत्तों तक को
समझना मुश्किल था
लोगों की गंभीरता
को देखते हुए कहा
वहां के कुत्तों तक को
समझना मुश्किल था
लोगों की गंभीरता
को देखते हुए कहा
जा सकता था कि
हर कोई विचारक है
कोई प्लेटो कोई रूसो
कोई प्लेटो कोई रूसो
कोई अरस्तू है पर
सबके सब पुस्तकों के
बाजार में उल्लू खोजते थे
काफी खोजबीन करने पर
पता चला यह जगह
कोई महानगर है
आगे राजधानी बनने की
संभावना पूरी थी
यहां के लोगों की ना उम्मीदी
के बीच बड़ी उम्मीद थी
सड़कों पर लोगों की भीड़ थी
बाजार में उल्लू खोजते थे
काफी खोजबीन करने पर
पता चला यह जगह
कोई महानगर है
आगे राजधानी बनने की
संभावना पूरी थी
यहां के लोगों की ना उम्मीदी
के बीच बड़ी उम्मीद थी
सड़कों पर लोगों की भीड़ थी
फिर भी वे वीरान थी
इस भीड में अधिकतर चेहरे
मुरझाए हुए गुलाब थे
जबकि वे सुखी होने के
सभी वर्तमान पैमाने
इस भीड में अधिकतर चेहरे
मुरझाए हुए गुलाब थे
जबकि वे सुखी होने के
सभी वर्तमान पैमाने
पूरे करते थे
जल्द ही पता चला वहां
लोग जिंदा नहीं थे बस
इसका नाटक कर रहे थे
एक दूसरे को कुचल आगे
बढ़ने में सुख चैन तलाश रहे थे
संवेदनाएं किनारे पड़ी
कराह रही थीं
रह रह कर अभी भी
अपने होने का अहसास
करा रही थीं
मुझे यह सब देख
महानगर से डर लगने लगा
पता नहीं यह मेरा भ्रम था
जल्द ही पता चला वहां
लोग जिंदा नहीं थे बस
इसका नाटक कर रहे थे
एक दूसरे को कुचल आगे
बढ़ने में सुख चैन तलाश रहे थे
संवेदनाएं किनारे पड़ी
कराह रही थीं
रह रह कर अभी भी
अपने होने का अहसास
करा रही थीं
मुझे यह सब देख
महानगर से डर लगने लगा
पता नहीं यह मेरा भ्रम था
या हकीकत .
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