फूल तो खिलते रहेंगे...

माना कि तुम्हारे पास
सत्ता है, ताकत है
फूलों को कुचल दोगे
पर आने वाली बहारों
का क्या करोगे ?
जो एक बार में सैकड़ों
फूल खिला देती हैं,
थक जाएंगे तुम्हारे हाथ
एक दिन तोड़ते तोड़ते,
पड़ जाएंगे पांवों में छाले
कुचलते कुचलते
तो क्या करोगे ?
फूलों का तो काम है
खिलना बहारों में,
बहारों का काम है आना
वे आती रहेंगी,
माना कि तुम्हारे
हाथों में शमशीर है,
काट दोगे पौधों को
खोद दोगे जड़ों को,
पर क्या करोगे उन बीजों को
जिन्हें धरती ने गोद में
छिपा लिए होंगे
वे जब हवा पानी पाएंगे,
पनप उठेंगे
जितना भी जुल्म ढ़ाओगे
वे दमक उठेंगे
हम घास हैं

हर बार तुम्हारे
किए पर उग आएंगे
तो क्या करोगे ?


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक नदी की सांस्कृतिक यात्रा और जीवन दर्शन का अमृत है 'सौंदर्य की नदी नर्मदा'

गड़रिये का जीवन : सरदार पूर्ण सिंह

तलवार का सिद्धांत (Doctrine of sword )

युद्धरत और धार्मिक जकड़े समाज में महिला की स्थित समझने का क्रैश कोर्स है ‘पेशेंस ऑफ स्टोन’

माचिस की तीलियां सिर्फ आग ही नहीं लगाती...

स्त्री का अपरिवर्तनशील चेहरा हुसैन की 'गज गामिनी'

ईको रूम है सोशल मीडिया, खत्म कर रहा लोकतांत्रिक सोच

महत्वाकांक्षाओं की तड़प और उसकी काव्यात्मक यात्रा

महात्मा गांधी का नेहरू को 1945 में लिखा गया पत्र और उसका जवाब

चाय की केतली