...चले आना

मैनेें गुनगुनी धृूप को
कैद कर रखा है
जब भी अंधेरा घेरे
चले आना
कोई रिश्ता नहीं तो क्या
कुछ तुम गुनगुनाना
कुछ बेसुरा हम गाएंगे
दोनो मिलकर कोई
नई तान छेडेंगे
घर  जैसा कोई ढ़ांचा नहीं तो क्या
क्षितिज की छत के नीचे
नर्म दूब पर बैठकर
अपने-अपने अतीत में खो जाएंगे

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