समस्याओं के निदान का अड्डा, 'Advice Adda'



 आजकल व्यक्ति अपनी सामाजिक जिंदगी हकीकत में कम और वर्चुअल स्पेस पर अधिक बिता रहा है। खासकर के जो नई पीढ़ी है वह इस  बात को लेकर अक्सर चर्चा में रहती है और आलोचनाओं का शिकार भी होती  है। लेकिन हकीकत इससे थोड़ा अलग है। 

इस अलग हकीकत को अगर समझना है तो सोचने का नजरिया भी थोड़ हट के बनाना होगा। 


अब सोचिए ऐसे में जब वह दिन के 10 घंटे इंटरनेट पर काम करने में बिताएगा तो सामाजिक हकीकत की जिंदगी में होगा या इंटरनेट की आभासी दुनिया में।

 दूसरी बात उम्र बढऩे के साथ-साथ व्यक्ति की सीखने की क्षमता और इच्छा शक्ति में भी कमी आ जाती है। ऐसे में पुरानी पीढ़ी के लोग चाहकर भी उतना बेहतर तरीके से आधुनिक तकनीकों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। जो कुछ लोग भी ऐसा करने में सफल होते हैं सीखने के प्रति बेहद मजबूत  इरादों वाले और उत्साही होते हैं।
 
समस्याएं इस लिए आती हैं क्योंकि आजकल का युवा काम करता है तो आभासी दुनिया में, कुछ खरीदता बेंचता है तो आभासी दुनिया में यहां  आज-कल इलाज भी कराना हो तो आभासी दुनिया। सामने कोई नहीं मिलने वाला ।
 आनंद फिल्म का एक डायलॉग है कि, '' हर आदमी एक ट्रांसमीटर और रिसीवर है, अपने जैसा सिग्नल पकड़ लेता है'' । पर आजकल सामने मिलता नहीं तो  इसस वह अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाता, घुटता रहता है अपने आप में |
जब उसके पास कोई ऐसा नहीं होता कि समस्याएं कह सके, तो क्या करेगा? तनाव मेंं होगा या फिर आदत के मुताबिक गूगल बाबा पर समस्याएं लिखेगा और समाधान  खोजता है।

यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मुझे समस्या और समाधान दोनों यहीं नजर आ रहे हैं। मैं भी खोजता हूं जो कुछ भी जिज्ञासा मन में होती है, लाईफ स्टाइल को लेकर, कैरियर को लेकर , ऐसा बहुत कुछ सर्च करता रहता हूं। गलती से मोबाइल लेकर कभी कोई ब्राउजिंग हिस्ट्री देख ले तो, या तो वह पागल हो जाएगा या मुझे पागल समझ लेगा।

पर क्या करें, किससे कहें समझ नहीं आता तो आखिर में गूगल  का सहारा होता है, यही सोचकर कि चलो गूगल कुछ तो बताएगा।
यह मेरी ही नहीं हर जवान होते लड़के की हालत होती है। सच कहें तो जिज्ञासाओं और समस्याओं, दोनेां का सागर होता है। समस्याएं भी ऐसी कि जो सुनता है वह सिर्फ मजाक उड़ाता है।

एक दिन यूं ही मुुझे भी साइबर संसार में भटकते हुए एक वेब साइट मिली थी, एडवाइस अड्डा । एक तरफ फिरंगी जबान का एडवाइस और दूसरी तरफ पूरा गांव का देहाती शब्द 'अड्डा, 

देख कर मन में कुछ अजीब सी कुलबुलाहट हुई, लगा यह कैसा नाम । बस क्लिक कर दिया । पहले तो कुछ समझ नहीं आया । सब अंगरेजी अंगरेजी महक रहा था। पर धीरे धीरे समझ आने लगा।

इसका जो सबसे मस्त फीचर लगता है, वह है, आप मैसेज छोडि़ए और उसका जवाब एक्सपर्ट से पाइए। इसके पहले कुछ कुछ इस तरह की सुविधा कई पोर्टलों पर मिलती थी पर कोई एक्सपर्ट नहीं होता था।

कितने लोग हर साल छोटी छोटी समस्याओं परेशान होकर अपनी जीवन लीला द इंड कर लेते हैं, काश उन्हें कोई अच्छा सलाह देने वाला मिल गया होता कभी कभी यह सोचकर बहुत दुख होता है।

पर साइबर दुनिया में भटकने वालों के लिए कम से कम एक तो  ऐसी जगह है, जहां सलाह मिल सकती है, वह भी नि:शुल्क ।

इस वेबसाइट मेंं सबकुछ अच्छा लगता है, थोड़ी सी अच्छी हिंदी में कहें तो अभिभावक जैसी है। यहां कैरियर से लेकर ब्यूटी टिप्स तक मिलता है।

पर एक चीज हमेशा खलती है कि हिंदी में क्यों नहीं है। थोड़ा हिंदी अंग्रेजी मिक्स तो होना ही चाहिए।
इससे क्या होगा कि हम जैसे हिंदी भाषी, टूटी फूटी फिरंगी जबान जानने वाले लोग भी  बेहतर तरीके से सलाह ले सकेंगे।
Advice Adda का प्रयास बहुत अच्छा है । आजकल की नई पीढ़ी को सही दिशा दिखाने की जरुरत है बस, बाकी सब  वह खुद कर लेगी । यह पथ  प्रदर्शक की भूमिका Advice Adda  निभा रहा है ।



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