कृष्ण तुम भगवान नहीं

आज दिमाग में कृष्ण को लेकर कुछ ख़याल आ रहे थे, हर बार की तरह बार बार यही लग रहा था की कृष्ण कैसे भगवान हो सकते हैं ?  क्या उन्होंने गीता में अपने मुख से खुद को ही भगवान बताया  इसी लिये |
  यह तो अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनने वाली बात हुई | इन्ही उलझे ख्यालों में जो कुछ दिमागी हलचल हुई वही लिखने की कोशिस है | 

अरे कृष्ण कहाँ गए तुम, इस बार भी तुम्हारा जन्मदिन देश में बड़ी धूम धाम से मनाया गया, लेकिन  उसी समय देश के अलग अलग हिस्सों में कई द्रोपदियों का चीर हरण हो रहा था | लेकिन उन्हें कोई कृष्ण बचाने वाला नहीं मिला | उनकी चीखें तुम्हारे जन्मोत्सव के शोर में दब कर रह गईं | कितनों ने तुम्हारे मदद की आस में गला फाड़ के चीखा होगा, कितनों ने आँखें बंद कर के बुदबुदाया होगा, शायद अब कोई कृष्ण आ जाए | पर कोई नहीं आया | 

क्या कभी हजारों साल पहले किसी एक द्रोपदी की इज्जत बचाने से तुम इतने बड़े हो गये की आने वाली पीढियां बिना किसी सवाल के तुम्हे पूजती रहेंगी ? अगर यही मान लिया जाये तो कुछ दिन पहले मेरठ में एक व्यक्ति ने भी किसी अंजन द्रोपदी की लाज बचाने की खातिर जान दे दिया था | तो हम उसकी पूजा क्यों नहीं करते | 

कभी कभी तो लगता है की तुम भी  स्त्री को स्त्री से आगे कभी सोच ही नहीं पाए | यदि सोचते तो द्रोपदी को बचाने के लिए सिर्फ साड़ी ही क्यों बढ़ाते | अगर तुम ऐसे नहीं थे तो आ जाते सामने और स्त्रियों पर भी गीता जैसा ज्ञान दे देते | जब लड़ाई के मैदान में ज्ञान दे सकते थे तो स्त्रियों के सामाजिक महत्व पर क्यों नहीं | 

तुमने क्या कभी पांडवों के कृत्यों पर सवाल  खड़े किये | आखिर उन्होंने भी तो जुए में द्रोपदी को दांव पर लगाया था | क्या किसी इंसान को दांव पर लगाया जा सकता है| 
इन सब से दिखता है की तुम भी महिलाओं को सिर्फ भोग ही समझते  थे | उससे अधिक कुछ नहीं | 

अगर इन सब से कोई सहमत नहीं तो बताइए की कृष्ण ने जो 16000 स्त्रियों को बचाया था, उन्हें अपने हरम में क्यों रखा | क्यों नहीं उन्हें आजाद कर दिया | बड़ी खूबसूरती से इस पर उन स्त्रियों की इच्छा का मुलम्मा  चढ़ा दिया जाता है | क्या यह जायज था | हमें तो नही लगता| 

कृष्ण तुम भगवान् नहीं हो सकते , मै नहीं मानता | 


टिप्पणियाँ

  1. शानदार। कुछ तो है जो सोचने पर मजबूर करता है।
    यूँ ही लिखते रहो लगातार....

    जवाब देंहटाएं
  2. शुक्रिया भईया , आपने कमेंट किया इसका सबसे बड़ा फायदा मुझे यह मिला कि मैं आपका ब्लाग पढ़ सकता हूं अब | मतलब blog ID मिल गई...

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक नदी की सांस्कृतिक यात्रा और जीवन दर्शन का अमृत है 'सौंदर्य की नदी नर्मदा'

गड़रिये का जीवन : सरदार पूर्ण सिंह

तलवार का सिद्धांत (Doctrine of sword )

युद्धरत और धार्मिक जकड़े समाज में महिला की स्थित समझने का क्रैश कोर्स है ‘पेशेंस ऑफ स्टोन’

माचिस की तीलियां सिर्फ आग ही नहीं लगाती...

स्त्री का अपरिवर्तनशील चेहरा हुसैन की 'गज गामिनी'

ईको रूम है सोशल मीडिया, खत्म कर रहा लोकतांत्रिक सोच

महत्वाकांक्षाओं की तड़प और उसकी काव्यात्मक यात्रा

महात्मा गांधी का नेहरू को 1945 में लिखा गया पत्र और उसका जवाब

चाय की केतली