मांझी : द माउंटेन मैन, निर्देशन की कमियों के पहाड़ को तोड़ते नवाज
फिल्म : मांझी : द माउंटेन मैन
निर्देशक : केतन मेहता
लेखक : केतन मेहता, महेंद्र झाकर, अंजुम राजाबली
कलाकार : नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राधिका आप्टे, तिग्मांशु धूलिया, पंकज त्रिपाठी, प्रशांत नारायण, गौरव द्विवेदी, अशरफ उल हक, दीपा साही
माझी द माउंटेन मैन जब से बन रही थी तब से ही इसे देखने की दो कारणों से उत्सुकता थी , पहला दशरथ माझी और दूसरा नवाजुद्दीन सिद्दकी का अभिनय | | नवाज का अभिनय हमेशा से ही आकर्षित करता है |
आम दर्शक की भांति मेरी भी यह इच्छा अचानक ही रिलीज होने से पहले ही पूरी हो गई, पाइरेटेड प्रिंट देखकर | अब इसे आप अपराध भले ही कहें, जो कि है भी लेकिन जब मिल जाए और जेब में थियेटर के लिए पैसे न हों तो दिल नैतिकता को किनारे कर देता है |
अब आते हैं फिल्म पर, इंटरवल के पहले यह इतनी बार फ्लैस बैक में जाती है कि दर्शक बुरी तरह कहानी को समझने में उलझ जाता है |
इसके पहले मैने केतन मेहता की रंगरसिया और मंगल पांडे का मेलोड्रामा भी देखा था |
रंगरसिया थोड़ी ठीक लगी थी लेकिन एक छिछलापन दिखाई दिया था | यह सतहीपन माझी में भी नजर आता है |
फिल्म में निर्देशक बहुत कुछ एक साथ दिखाने की हड़बड़ी में दिखाई पड़ता है | इसमे उसने 70 के दशक की सामाजिक व्यवस्था से जे.पी. आंदोलन और वर्तमान समय की राजनीतिक हालत तक को अपने लपेटे में ले लिया है | इस कारण फिल्म में दशरथ माझी की प्रेम कहानी कहीं पीछे छूटते हुए लगती है |
इंटरवल के बाद नवाजुद्दीन सिद्दकी के दमदार अभिनय के दम पर संभलते हुए दिखती है | गौर किया जाए तो पूरी फिल्म में एक चरित्र का अभिनय है |
नवाज का पहाड़ से बातें करना, दोस्त की तरह उससे लिपटना एक और किरदार का निर्माण खुद ब खुद कर देता है |
अब पहाड़ तो अभिनय कर नही सकता, इसलिए नवाज पहाड़ पर चढ़ कर खुद अभिनय के शिखर पर जा पहुंचते हैं |
निर्देशक फिल्म की शुरूआत से ही भटका हुआ नजर आता है | वह कभी 80 के दशक की आर्ट फिल्म बनाने की कोशिस करते हुए दिखाई पड़ता है और कभी मंगल पांडे जैसी नाटकीयता |
इसलिए पूरी फिल्म नवाज के ही भरोसे रहती है | बाकी राधिका आप्टे जैसी नायिका को हासिए पर डाल दिया जाता है |
इस तरह पूरी फिल्म में नायक नवाज निर्देशक द्वारा खड़े किए गए कमियों के पहाड़ को छेनी हथौड़े लेकर तोड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं और आखिर में फतह हासिल करके आभिन
य के शिखर पर जा पहुंचते हैं |
निर्देशक : केतन मेहता
लेखक : केतन मेहता, महेंद्र झाकर, अंजुम राजाबली
कलाकार : नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राधिका आप्टे, तिग्मांशु धूलिया, पंकज त्रिपाठी, प्रशांत नारायण, गौरव द्विवेदी, अशरफ उल हक, दीपा साही
माझी द माउंटेन मैन जब से बन रही थी तब से ही इसे देखने की दो कारणों से उत्सुकता थी , पहला दशरथ माझी और दूसरा नवाजुद्दीन सिद्दकी का अभिनय | | नवाज का अभिनय हमेशा से ही आकर्षित करता है |
आम दर्शक की भांति मेरी भी यह इच्छा अचानक ही रिलीज होने से पहले ही पूरी हो गई, पाइरेटेड प्रिंट देखकर | अब इसे आप अपराध भले ही कहें, जो कि है भी लेकिन जब मिल जाए और जेब में थियेटर के लिए पैसे न हों तो दिल नैतिकता को किनारे कर देता है |
अब आते हैं फिल्म पर, इंटरवल के पहले यह इतनी बार फ्लैस बैक में जाती है कि दर्शक बुरी तरह कहानी को समझने में उलझ जाता है |
इसके पहले मैने केतन मेहता की रंगरसिया और मंगल पांडे का मेलोड्रामा भी देखा था |
रंगरसिया थोड़ी ठीक लगी थी लेकिन एक छिछलापन दिखाई दिया था | यह सतहीपन माझी में भी नजर आता है |
फिल्म में निर्देशक बहुत कुछ एक साथ दिखाने की हड़बड़ी में दिखाई पड़ता है | इसमे उसने 70 के दशक की सामाजिक व्यवस्था से जे.पी. आंदोलन और वर्तमान समय की राजनीतिक हालत तक को अपने लपेटे में ले लिया है | इस कारण फिल्म में दशरथ माझी की प्रेम कहानी कहीं पीछे छूटते हुए लगती है |
इंटरवल के बाद नवाजुद्दीन सिद्दकी के दमदार अभिनय के दम पर संभलते हुए दिखती है | गौर किया जाए तो पूरी फिल्म में एक चरित्र का अभिनय है |
नवाज का पहाड़ से बातें करना, दोस्त की तरह उससे लिपटना एक और किरदार का निर्माण खुद ब खुद कर देता है |
अब पहाड़ तो अभिनय कर नही सकता, इसलिए नवाज पहाड़ पर चढ़ कर खुद अभिनय के शिखर पर जा पहुंचते हैं |
निर्देशक फिल्म की शुरूआत से ही भटका हुआ नजर आता है | वह कभी 80 के दशक की आर्ट फिल्म बनाने की कोशिस करते हुए दिखाई पड़ता है और कभी मंगल पांडे जैसी नाटकीयता |
इसलिए पूरी फिल्म नवाज के ही भरोसे रहती है | बाकी राधिका आप्टे जैसी नायिका को हासिए पर डाल दिया जाता है |
इस तरह पूरी फिल्म में नायक नवाज निर्देशक द्वारा खड़े किए गए कमियों के पहाड़ को छेनी हथौड़े लेकर तोड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं और आखिर में फतह हासिल करके आभिन
य के शिखर पर जा पहुंचते हैं |
बहुत ही जबरजस्त ....शाबाश
जवाब देंहटाएंबहुत ही जबरजस्त ....शाबाश
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर ...
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