आजादी के मायने...

बचपन में आजादी से जुड़े दिन 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन बड़े उल्लास मय होते थे | स्कूलों को सजाया जाता था, प्रभात फेरी निकलती थी, लम्बे-लम्बे भाषण होते थे, हर बार आजादी के लिए लहू बहाने वालों को याद किया जाता था | पहले यह सब बहुत उत्साहित करता था, लेकिन अब नहीं करता |
अब सोचने पर लगता है कि तब हम सब को भगत सिंह के लहू की याद दिलाकर बस उत्तेजित किया जाता था, जबकि असल में उन्होने जिस आजादी की बात की थी वह हमसे आज भी कोसों दूर है | गोरे चेहरे वालों ने सत्ता को काले रंग वालों को दे दिया बस | समाजवाद का सुनहरा सपना जाने कहां खो गया | हम तब भी लूटे जा रहे थे, अब भी लूटे जा रहे हैं | जल, जमीन और जंगलों की लूट सतत जारी है | हम तब भी दवा, पढ़ाई और रोटी, कपड़ा जैसी मूल भूत चीजों के लिए जूझ रहे थे, वह अब भी कायम है | तो हमे आजादी किस चीज से मिली |
हमें संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी दे दी गई लेकिन हकीकत में कितनी मिली यह किसी से छिपा नही है | इसका प्रमाण पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी पत्रकारों की हत्याएं हैं | और न जाने कितने ऐसे हैं जो भारतीय जेलों में सिर्फ इस लिए सड़ रहे हैं क्योंकि उन्होने लूट के खिलाफ आवाज बुलंद करने की जुर्रत की | इसके उदाहरण प्रोफेसर सांई और हेम मिश्रा जैसे लोग हैं |
 अगर बदलाव आया है तो लालकिले कि प्राचीर से किए जाने वाले वादों में, संसद के चलने में और सदन में चुनकर जानें वाले अपराधी प्रवृत्ति के जन प्रतिनिधियों की संख्या में | हां गौर करते हैं तो एक चीज और बदली, बदली नजर आ रही है, वह है भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की फिजा | दवा और पढ़ाई का बजट काटकर हथियार खरीदे जा रहे हैं वह भी प्रदर्शन के लिए | हजारों लोग हर साल डेंगू और दिमागी बुखार से भले ही मर जाएं लेकिन प्रधानमंत्री जी के लिए सबसे बड़ा खतरा पाकिस्तान ही रहता है |
अरे हां पिछली बार से नक्सली भी बन गए हैं | लेकिन हमारी सरकारें दोनों से निपटने का एक ही उपाय जानती है, बस हथियार खरीदो | पाकिस्तान से सांस्कृतिक संबंध खत्म करो, क्रिकेट मत खेलो, इसे भी कुछ राष्ट्रवादी लोग सुझाते हैं |
 सुन रहे हैं भारत की तरफ से वाघा बार्डर पर परेड में अधिक लोग जाने लगे हैं और परेड में पैर पटक कर पाकिस्तान में भूकंप लाने का ख्वाब परवान चढ़ता जा रहा है | हालांकि कभी देखने का अवसर नहीं मिला अभी तक | अगर यही आजादी का मतलब होता है तो आजादी का तो आपको आपकी आजादी मुबारक हो |
 मै नही मानता ऐसी आजादी को | मेरे लिए आजादी का मतलब है, हर व्यक्ति साक्षर नही शिक्षित बने, जल, जमीन और जंगल पर उसपर रहने वालों का अधिकार हो | मेरे लिए आजादी का मतलब है, हथियारों के बजाए दवा और पढ़ाई का बजट बढ़ाना आजादी है | मेरे लिए आजादी का मतलब है किसी दाभोलकर की हत्या न हो , कोई हेम मिश्रा जेल न जाए | जिस दिन लालकिले से इन सब के बारे में बोला जाएगा वह दिन असली आजादी का दिन होगा | वरना मैं चाहूंगा फिर से मेरा बचपन वापस आ जाए, और एक लड्डू पाकर आजादी मना लूं, वैसे भी अभी तक लोगों को सरकारों ने अभी तक आजादी का लड्डू ही दिया है |

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक नदी की सांस्कृतिक यात्रा और जीवन दर्शन का अमृत है 'सौंदर्य की नदी नर्मदा'

गड़रिये का जीवन : सरदार पूर्ण सिंह

तलवार का सिद्धांत (Doctrine of sword )

युद्धरत और धार्मिक जकड़े समाज में महिला की स्थित समझने का क्रैश कोर्स है ‘पेशेंस ऑफ स्टोन’

माचिस की तीलियां सिर्फ आग ही नहीं लगाती...

स्त्री का अपरिवर्तनशील चेहरा हुसैन की 'गज गामिनी'

ईको रूम है सोशल मीडिया, खत्म कर रहा लोकतांत्रिक सोच

महत्वाकांक्षाओं की तड़प और उसकी काव्यात्मक यात्रा

महात्मा गांधी का नेहरू को 1945 में लिखा गया पत्र और उसका जवाब

चाय की केतली