फेसबुक शहर : आधी रात के बाद
फेसबुक शहर में जलने वाली हरी बत्तियां वैसे तो हमेशा से ही बात-चीत के लिए तैयार मित्रों की उपलब्धता ही बताती हैं, लेकिन जब ये बत्तियां आधी रात के बाद जलती हैं तो कहानी कुछ और ही होती है |
आधी रात के बाद चमक रही इन बत्तियों के पीछे होता है कोई चांद सा प्रोफाईल पिक्चर वाला शख्स | जिसका हो रहा होता है इंतजार | फेसबुक शहर में हुआ प्यार भी इस शहर की तरह नायाब ही होता है | इंतजार करने वाले जोड़े को अक्सर यह बात पता होती है कि वे कभी प्रोफाईल से आगे रियल में दीदार नहीं कर सकेंगे फिर भी करते हैं रोज इंतजार | शायद यह प्यार चीज ही ऐसा है जो करवाता है इंतजार और बस इंतजार चाहे यह दिल्ली- नोयडा जैसे शहर में हुआ हो या फेसबुक पर |
इस फेसबुक शहर में आधी रात को हरी बत्तियां जलने के पीछे एक और कारण है वह है इस शहर के साठ से सत्तर साल के बाशिंदे , इनमें कुछ लोग ७० की उम्र में तलाश रहे होते हैं बचपन तो कुछ लोग फिर से जवानी के दिन, इसी चक्कर में ये बेचारे फुदकते रहते हैं एक प्रोफाईल से दूसरी प्रोफाईल , कभी-कभी तो रात गुजर जाती है |
यह फेसबुक शहर युवा और बुजुर्ग में भेदभाव नहीं करता और न ही आधी रात के बाद इसमें घूमने वाले को आवारा ही कहा जाता | यहां बत्तियां सभी के लिए जलती हैं और हर कोई यहां आधी रात के बाद, प्यार तलाश रहा होता है या फिर धरती के किसी दूसरे छोर पर बैठे ऐसे चेहरे से स्माईली के जाल में उलझा हुआ दिल की बात शेयर कर रहा होता है जिससे वह कभी मिल नहीं पायेगा |
कभी रात में इंतजार के बाद अगर हरी बत्तियां जलाने वाला नहीं आता तो दिल ऐसे फड़फड़ाने लगता है जैसे निकल के बाहर आ जायेगा |
फेसबुक शहर आधी रात के बाद हर किसी को जीने की कोई न कोई वजह देता है | लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह शहर भी दिल्ली नोएडा की ही तरह आधी रात के बाद सूना-सूना रहने लगा है, शायद व्हाट्स एप्प जैसे नए अल्ट्रा मॉडर्न शहर के बस जाने के कारण | जब से यह नया शहर अस्तित्व में आया है, फेसबुक शहर से ठीक वैसे ही लोगों का पलायन हुआ है जैसे गुड़गांव बसने के बाद नोएडा से हुआ । हमें लगता है कि हर की यही नियति है "नए यार मिलते हैं पुराने छूट जाते हैं " ।
लेकिन ऐसा नहीं एकदम सन्नाटा ही पसरा हुआ, अब भी टिमटिमाती हैं हरी बत्तियां, अभी भी होता है किसी चाँद सी प्रोफाईल पिक्चर वाली का इन्तजार और कुछ लोग खोजते हैं है, प्यार और बचपन ।
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