बेदर्द बारिस
शहरियों के लिए मौसम रोमांस का आया है,
लेकिन गांव के किसानों पर कहर बन के ढ़ाया है,
धरती की गोद में लेटी फसलें देखकर,
किसानों के दिल टूटने का मौसम आया है,
इस बेदर्द बारिस नें
कर्ज में डूबे जाने कितनों को
फांसी पर लटकाया है,
इसनें कईयों के हो रही बंजर
राजनीतिक भूमि को फिर से उपजाऊ बनाया है,
हमनें हर सुबह अखबार को
अन्नदाता की मौतों से रंगा पाया है |
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