तुष्टीकरण छोड़ आधुनिकीकरण के ट्रैक पर दौड़ी प्रभु की रेल
मोदी सरकार के पहले रेल बजट को लेकर जारी कयासों का दौर समाप्त हो गया | रेल मंत्री सुरेश प्रभु नें अब तक चले आ रहे लालीपॉप बांटने की परम्परा पर ब्रेक लगाते हुए रेलवे को आधुनिकीकरण के ट्रैक पर दौड़ाने की घोषणा किया |
किसी भी बजट में न तो सब कुछ अच्छा हो सकता है और न ही सब कुछ बुरा । बजट पेश करते समय मंत्री को संतुलन बनाना पड़ता है । कई सीमाओं के बावजूद यह रेल बजट अधिक यथार्थवादी रहा । बहुत दिनों से रेलवे को ऐसे बजट का इंतज़ार था जिसमें रेलवे की वास्तविक हालत सुधारने का माद्दा हो । रेल मंत्री ने इस वस्तु स्थिति को महसूस किया और रेलवे में निवेश तथा उसकी क्षमता विस्तार पर ध्यान दिया ।
भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पहला मौका था जब बजट में कोई नई ट्रेन चलाने की घोषणा नहीं किया गया | इस बात की जरूरत बहुत दिनों से महसूस की जा रही थी कि नई ट्रेनों की घोषणा के पहले समीक्षा की जाय कि क्या ट्रैकों पर जगह खाली है | रेलवे के अनुसार वर्तमान रेल पटरियों पर 100% अतिरिक्त भार है | इसी कारण ट्रेनें लेट चलती हैं और रेल हादसों का भी यह एक प्रमुख कारण है |
रेल बजट में आम तथा खास सबका ध्यान रखा गया | इसमें सामान्य श्रेणी में मोबाईल चार्ज करने से लेकर स्टेसनों के वाईफाई करने तक की बातें शामिल हैं | रेल मंत्री प्रभु ने रेलवे को और अधिक इको फ्रैंडली बनाने पर भी खासा ध्यान दिया है । इसके लिए सोलर संयंत्र लगाने तथा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने की भी घोषणा की । हांलाकि बिना भारी भरकम धन खर्च किये भी कुछ ऐसे कार्य किये जा सकते थे जो की आम आदमी को बेहद राहत देने वाला होता जैसे पैसेजनर ट्रेनों में साइकिल टांगने और दूधियों को डिब्बे लटकाने की सुविधा देना । यह कार्य जितना आम आदमी से जुड़ा है उतना ही पर्यावरण से भी । यह कोई नया और अनोखा कार्य नहीं होता ऐसा जर्मनी और फ़्रांस जैसे देशों में हो रहा है । इससे डेयरी उद्योग को नए पंख लग सकते थे, आम ग्रामीण दूध को दूर शहर में बेच पाता ।
रेल बजट में मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रेलवे को उसकी बदबूदार छवि से मुक्ति दिलाने के लिए 17000 बायो टायलेट बनाने की घोषणा की गई | साथ साथ यह भी घोषणा की गई की सफाई के लिए अलग स्पेशल विभाग बनाने पर विचार किया जाएगा ।
रेल बजट में बुजुर्गों, बीमार तथा महिलाओं का भी खासा ख्याल रखा गया है | बुजुर्गों तथा बीमारों को जहां सीटों के रिजर्वेशन के समय लोअर बर्थ की वरीयता दी जायेगी वहीं पर महिला आरक्षित डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेंगे।
रेल मंत्री ने बजट में मुसाफिर तथा मालगाड़ियों रफ़्तार देने की भी बात कही गई । इसके लिए लाइनो के दोहरीकरण और विद्युतीकरण की माग बहुत दिनों से हो रही थी । जिसे ध्यान में रखते हुए बजट में ९६१८२ करोड़ का प्रस्ताव रखा गया है । यही नहीं उन्होंने आगामी पांच वर्षों में साढ़े आठ लाख करोड़ के निवेश का प्रोग्राम भी रखा है । जो की व्यापक निवेश योजना का संकेत है। लेकिन उन्होंने बजटीय भाषण में कही इस बात का उल्लेख नहीं किया की इन सब के लिए पूंजी कहा से आएगी । बजट में इन सब के अतिरिक्त कुछ ऐसी बाते भी कही गयी हैं जिनका बहुत असर नहीं दीखता जैसे चार माह पूर्व से ही टिकट बुकिंग, इससे दलालों को ही फ़ायदा होगा क्योकि कोई भी व्यक्ति इतना पहले से यात्रा का निर्धारण नहीं करता आजकल । रही बात टिकट वेडिंग मशीन लगाने की तो यह सिस्टम बहुत अधिक सफल कहीं नहीं रहा है पूरी दुनिया में । इससे पैसे के लेनदेन और तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायतें आती है । इससे अच्छा होता की ई टिकटिंग पर अधिक ध्यान दिया गया होता ।
हालंकि कुल मिलाकर रेल बजट संतुलित रहा और रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने यह साबित कर दिया की वे रेलवे की हालत सुधारना चाहते है ।
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